Chapter 14 - मन्नू भंडारी (प्रश्न अभ्यास)

Question 1:
लेखिका के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का किस रूप में प्रभाव पड़ा?

लेखिका के व्यक्तित्व पर दो व्यक्तियों का विशेष प्रभाव पड़ा - लेखिका के पिताजी और उनकी हिंदी का प्राध्यापिका - शीला अग्रवाल।
लेखिका के पिताजी के कभी अच्छे कभी बुरे व्यवहार ने लेखिका के जीवन को बहुत हद तक प्रभावित किया। पहले उनके पिता उनको बहुत हीन समझते थे। इसका परिणाम यह हुआ कि लेखिका के मन में आत्मविश्वास की कमी हो गई। इसी कारण वह भी अपनी उपलब्धि पर भरोसा नहीं कर पाती थी।
दसवीं कक्षा के बाद फर्स्ट इयर में उनकी मुलाकात हिंदी की प्राध्यापिका शीला अग्रवाल से हुई। उनसे लेखिका को हिंदी साहित्य के बारे में ज्ञान प्राप्त हुआ तथा बचपन के खोए आत्मविश्वास की भावना फिर से उनके मन में जागृत हुई, उनका चित्त स्वतंत्रता संग्राम की ओर उन्मुख हुआ।


Question 2:
इस आत्मकथ्य में लेखिका के पिता ने रसोई को 'भटियारखाना' कहकर क्यों संबोधित किया है?

'भटियारखाना' शब्द भट्टी (चूल्हा) से बना है। यहाँ पर प्रतिभाशाली लोग नहीं जाते हैं, चूल्हे के संपर्क में आकर उनकी प्रतिभा नष्ट हो जाती है। सम्भवत: इसलिए लेखिका के पिता ने रसोई को 'भटियारखाना' कहकर संबोधित किया होगा।


Question 3:
वह कौन-सी घटना थी जिसके बारे में सुनने पर लेखिका को अपनी आँखों पर विश्वास हो पाया और न अपने कानों पर?
कॉलिज के दिनों में एक बार पिता जी के नाम प्रिंसिपल का पत्र आया कि आपकी पुत्री की गतिविधियों के कारण उसे उचित दंड दिया जाए या न दिया जाए। इस पर पिताजी को लगा जैसे लेखिका ने कोई ऐसा अपराध किया है जिससे ख़ानदान की प्रतिष्ठा खराब हो सकती है। इस कारण वे गुस्से में प्रिंसिपल से मिलने गए। इससे लेखिका बहुत भयभीत हो गई। परन्तु प्रिंसिपल से मिलने तथा असली अपराध के पता चलने पर लेखिका के पिता को अपनी बेटी से कोई शिकायत नहीं रही। पिताजी के व्यवहार में परिवर्तन देख लेखिका को न तो अपने आँखों पर भरोसा हुआ और न ही अपने कानों पर विश्वास हुआ।


Question 4:
लेखिका की अपने पिता से वैचारिक टकराहट को अपने शब्दों में लिखिए।

लेखिका के अपने पिता के साथ अक्सर वैचारिक टकराहट हुआ करती थी -

(1) लेखिका के पिता यद्यपि स्त्रियों की शिक्षा के विरोधी नहीं थे परन्तु वे स्त्रियों का दायरा चार दीवारी के अंदर ही सीमित रखना चाहते थे। परन्तु लेखिका खुले विचारों की महिला थी।
(2) लेखिका के पिता लड़की की शादी जल्दी करने के पक्ष में थे। लेकिन लेखिका जीवन की आकाँक्षाओं को पूर्ण करना चाहती थी।
(3) लेखिका का स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेकर भाषण देना उनके पिता को पसंद नहीं था।
(4) पिताजी का लेखिका की माँ के साथ अच्छा व्यवहार नहीं था। स्त्री के प्रति ऐसे व्यवहार को लेखिका अनुचित समझती थी।
(5) बचपन के दिनों में लेखिका के काले रंग रुप को लेकर उनके पिता का मन उनकी तरफ़ से उदासीन रहा करता था।


Question 5:
इस आत्मकथ्य के आधार पर स्वाधीनता आंदोलन के परिदृश्य का चित्रण करते हुए उसमें मन्नू जी की भूमिका को रेखांकित कीजिए।
लेखिका मन्नू भंडारी भी स्वतंत्रता संग्राम में भागीदार थी। इस आंदोलन में उन्होंने अपने भाषण, उत्साह तथा अपनी संगठन-क्षमता के द्वारा सहयोग प्रदान किया। 1946-47 तक के समय में मन्नू भंडारी ने जगह-जगह जाकर अपनी भाषण प्रतिभा के माध्यम से अपने विचारों को साधारण जनता के समक्ष रख कर अपना सहयोग दिया।